Class 12 History Notes Chapter 1 – Bricks, Beads aur Bones (Harappan Sabhyata)
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Class | 12th |
Textbook | NCERT |
Chapter Name | ई टे मनके तथा अस्थियां |
Website Page | CBSE 12th class history chapter 1 ई टे मनके तथा अस्थियां |
Medium | Hindi |
History All Chapter Notes | Click |
- स्नानागार जलाशय किले में स्थित था। 11.88 मीटर लम्बा 7.01 मीटर चौड़ा 2.43 मीटर गहरा। इसके तल पर सीढ़ियां बनी हुई हैं। यह सीढ़ियां पक्की ईंटों से बनाई गई हैं।
- स्नान कुण्ड के चारों ओर कमरे बने हुए हैं और बरामदे भी बनाये गए हैं।
- स्नान कुण्ड के कमरे के समीप एक कुआं बना हुआ है। जिससे पानी कुण्ड में आता था और कुण्ड के गन्दे पानी की निकासी।
- एक अन्य दरवाजे (द्वार) से की जाती थी। गन्दा पानी फिर बड़ी नालियों के माध्यम से शहर से बाहर निकल जाता। स्नानागार की दीवारों के निर्माण में सीलन से बचने के लिए डावर या तारकोल का प्रयोग किया जाता था।
- पूरे स्नानागार में 6 प्रवेश द्वार होते थे। स्नानागार में गर्म पानी की व्यवस्था भी होती थी।
- सामाजिक संगठन
- भोजन
- वस्त्र
- आभूषण व सौंदर्य प्रदर्शन
- मनोरंजन
- प्रौद्योगिकी
- मृत्तिका कर्म
- चिकित्सा विज्ञान
- मछली पकड़ना, शिकार करना उनका प्रिय मनोरंजन था। जानवरों की दौड़, जुनझुने, सीटीया तथा शतरंज के खेल उनके मनोरंजन के साधन थे।
- इसके अलावा पत्थर तथा सीप की गोलियों से खेल खेलते थे। खुदाई में पशुओं की मूर्तियाँ, बेल गाड़ियां, दो पहियों वाला तांबे का रथ मिला है। नटराज की मूर्ति भी मिली है जिससे पता चलता है कि हड़प्पावासी भी नाच गाना करते थे।
- वे धातु कर्म का निर्माण करते थे। अयस्कों से धातु अलग करते थे। मिश्रित धातु का भी निर्माण करते थे। तांबे में चाल्नी व टिन मिलाकर कांसा बनाते थे। अयस्क की आपूर्ति राजस्थान प्रदेश के झुंझुनूं के खेड़ी / झुमझुना व बिहार प्रान्त के हजारी बाग से करते थे। चकमक पत्थर के बोट व नलीबमक बम प्रान्त के हजारी बाग से करते थे। चकमक पत्थर के बॉट व नालिकाकार बम बनाते थे ।
- जड़ी-बूटी, फल, वृक्षों के पत्ते, विशिष्ट प्रजाति के वृक्षों के फल, रस का सेवन करते थे। हिरणों के सींगों से चूर्ण बनाया जाता था। समुद्र के फेन (झाग) से भी औषधि बनाई जाती थी। शिलाजीत भी पाई जाती थी।
- हड़प्पा के लोग व्यापार को अधिक महत्व देते थे।
- नाप के लिए शीशे की पट्टी का प्रयोग करते थे।
- चन्हुदड़ों के उत्खनन से प्राप्त पत्थरों के एक कारख़ाने का प्रयोग कारख़ाना मिला है।
- समाज में अनेक व्यापारिक वर्गों के लिए रहते थे। जिनका कार्य केवल व्यापार या व्यवसाय से होता था। इनमें कुमार, बढ़ई, सुनार आदि प्रमुख थे।
- आर्थिक व्यापार के अतिरिक्त इन्होंने ईरान, अफगानिस्तान, मेसोपोटामिया, इराक़ के साथ व्यापारिक सम्बन्ध थे।
- अतिरिक्त व्यापार विदेशी माध्यम से जिनका बाहरी व्यापार मुहरों से किया जाता था। दूर देशों में शाही रानी का प्रयोग करते थे।
- कुम्हारों के द्वारा चाक से निर्मित मिट्टी की मूर्तियां, खिलौने, बर्तन के अतिरिक्त ईंटों का निर्माण भी बड़े पैमाने पर किया जाता था।
- इस काल में हाथी दांत, सीपियों धातु के विभिन्न आभूषण बनाए जाते।
- मात्र देवी की उपासना।
- शिव या परम पुरुष की आराधना।
- वृक्ष और पशु पूजा।
- लिंग पूजा।
- हड़प्पा संस्कृति में मंदिरों का कर्म नहीं। उत्खनन में ऐसा कोई भवन प्राप्त नहीं हुआ जिसे देवालय की संज्ञा दी जा सके। इस काल की मिट्टी तथा पत्थर की अनेक नग्न नारी की मूर्तियां मिली हैं।
- मात्र देवी के अनेक चित्र ताबीजों में मिट्टी के बर्तनों में तथा मोहरों में अंकित। इसमें यह पता चलता है कि यहाँ पर मात्र देवी की पूजा की जाती है।
- नोट: प्रो आर एस त्रिपाठी की मान्यता है कि पूजा के क्षेत्र में सर्वाधिक प्रतिष्ठित मात्र शक्ति की थी। जिसकी आराधना प्राचीन काल से ईरान से लेकर इंडियन सागर तक के सारे देशों में होते थे।
- मात्र देवी सृष्टि की उत्पत्ति व वनस्पति के फैलाव में देवी का योगदान स्वीकार किया गया है।
- इस समय मात्र देवी को प्रसन्न करने के लिए बलि तथा प्रथा का प्रचलन था। पूजा, आराधना, नृत्य, संगीत बलि देकर की जाती थी। इस काल में मंदिरों के अवशेष नहीं मिलते हैं।
- उत्खनन में अर्नेस्ट मैके की एक सील मुद्रा मिली जिसमें एक पुरुष के चित्र की शिर के दोनों और सींग है। इस योगी के तीन मुख है। शांत व गंभीर मुद्रा में है। इसके बायीं ओर भैंस और गीदड़ तथा दायीं ओर शेर और हाथी है। सामने हिरण है। इस ध्यानमग्न योगी के सिर के ऊपर पाँच शब्द लिख हुए हैं। जिन्हें अब तक पढ़ा नहीं जा सका है। (परम पुरुष के रूप में पशुपति शिव की आराधना)
- अनेक मोहरों में पीपल तथा उसकी पत्तियों के चित्र बने अंकन है। जिसमें ऐसा लगता है कि वह लोग वृक्ष पूजा के अंतर्गत पीपल की पूजा करते थे। वर्तमान में भी पीपल की वृक्ष पूजा की जाती है।
- इनके अतिरिक्त अनेक मोहरों पर सांड और बैल चित्रित अंकित है।
- वर्तमान में शिव भगवान के साथ सांड (नन्दी) की पूजा पूरे भारत वर्ष में कई जाती है।
- मूर्तिकल
- धातुकल
- वस्त्र निर्माण कल
- चित्रकल
- पात्र निर्माण कला
- नृत्य तथा संगीत कला
- मुद्रा कला
- ताम्र निर्माण कला
- लेखन कला
- हड़प्पा सभ्यता में मनके बनाने के लिए कार्नेलियन जेसपुर क्वार्ट्ज तथा सेलखड़ी जैसे पत्थर, तांबा कांसा और सोना जैसी धातु, शंख पयांस और पक्की मिट्टी का प्रयोग किया जाता था
- मनके बनाने की तकनीक:- मनके बनाने की तकनीक में प्रयुक्त पदार्थ के अनुसार भिन्नताएं थी
- सेलखड़ी जो एक बहुत मुलायम पत्थर है कुछ मनके सेलखड़ी चूर्ण के लेप को सांचे में डालकर तैयार किए जाते थे सिंधु सभ्यता की लिपि :-
- सिंधु लिपि को पढ़ने का प्रथम प्रयास 1925 में वेडेल ने तथा नवीनतम प्रयास नटवर झा, धनपत सिंह धान्या, राजाराम ने की थी। लेकिन अभी तक भी सिंधु लिपि को प्रमाणित रूप से पढ़ा नहीं जा सकता है।
- लिपि के सबसे ज्यादा अक्षर मोहंजोदड़ो से तथा दूसरे नंबर पर हड़प्पा से मिले हैं। लिपि के सबसे बड़े अक्षर धोतावीरा से मिले हैं। जिन्हें Notice Board का प्रतीक माना गया है।
- सिंधु लिपि भावचित्रात्मक है। अर्थात चित्रों के माध्यम से भावो को अभिव्यक्त करना। सिंधु लिपि दोनों और से लिखी जाती है इसलिए इसे बाउस्ट्रोफेडेन कहा गया है।
- सिंधु सभ्यता के विभिन्न पक्षों को जानने की दृष्टि से विशेष उल्लेखनीय हैं: सेलखड़ी प्रस्तर एवं पक्की मिट्टी से निर्मित विभिन्न आकार और प्रकार की मोहरे जिनमे आयताकार और वर्गाकार प्रमुख आयताकार पर केवल लेख मिलते हैं जबकि वर्गाकार पर लेख और चित्र दोनों मिलते हैं। मेसोपोटामिया की 5 बेलनाकार मोहरे मोहंन्जोदड़ो से मिली है तथा फारस की मार्बल हुई संगमरमर की मोहरे लोथल से मिली है।
- कनिंगम भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग का पहला डायरेक्टर जनरल था। अलेक्जेंडर कनिंगम को भारतीय पुरातत्व का जनक भी कहा जाता है।
- कनिंगम ने 19वीं शताब्दी के मध्य में पुरातात्विक खनन आरंभ किया। यह लिखित स्रोतों का प्रयोग अधिक पसंद करते थे।
Class 12 History Chapter 1 – PDF Notes (Bricks, Beads aur Bones)
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There are 15 chapters in the Class 12th English Behavior book. Students can access it at 1 click and save it on their phone.
Check out :
1: Bricks, Beads and Bones The Harappan Civilisation
2: Kings, Farmers and Towns Early States and Economies
3: Kinship, Caste and Class Early Societies
4: Thinkers, Beliefs and Buildings Cultural Developments
Part 2
5: Through the Eyes of Travellers Perceptions of Society
6: Bhakti-Sufi Traditions Changes in Religious Beliefs and Devotional Texts
7: An Imperial Capital: Vijayanagara
8: Peasants, Zamindars and the State Agrarian Society and the Mughal Empire
Part 3
9: Kings and Chronicles The Mughal Courts
10: Colonialism and the Countryside: Exploring Official Archives
11: Rebels and the Raj The Revolt of 1857 and its Representations
12: Colonial Cities Urbanisation, Planning and Architecture
13: Mahatma Gandhi and the Nationalist Movement Civil Disobedience and Beyond
14: Understanding Partition Politics, Memories, Experiences
15: Framing the Constitution The Beginning of a New Era
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